अल्सर का उपचार
अल्सर, जिसे अक्सर आमाशय का अल्सर, पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर कहते हैं, आपके आमाशय या छोटी आँत के ऊपरी हिस्से में फोड़े या घाव जैसे होते हैं। अल्सर उस समय बनते हैं जब भोजन को पचाने वाला अम्ल आमाशय या आँत की दीवार को क्षति पहुँचाता है। पहले यह माना जाता था कि अल्सर तनाव, पोषण या जीवनशैली के कारण होता है किन्तु वैज्ञानिकों को अब यह ज्ञात हुआ है कि ज्यादातर अल्सर एक प्रकार के जीवाणु हेलिकोबैक्टर पायलोरी या एच. पायलोरी द्वारा होता है। यदि अल्सर का उपचार न किया जाये तो ये और भी विकराल रूप धारण कर लेते हैं। इन बातों का रखें ख्याल- 1. रात के खाने और सोने के बीच कम-से-कम दो घंटे का अंतर होना चाहिए। 2. यदि आपको बार-बार या लगातार आमाशय या पेट में दर्द हो तो अपने चिकत्सक की सलाह अवश्य लें क्योंकि अक्सर यही अल्सर के प्रथम लक्षण होते हैं। अन्य लक्षणों में मितली आना, उल्टी आना, गैस बनना, पेट फूलना, भूख न लगना और वजन में गिरावट शामिल हैं। 3.यदि आपके मल अथवा उल्टी में रक्त आये या आपके लक्षण और खराब हो जायें या दवाओं को कोई असर न हो रहा हो तो अपने चिकित्सक के पास पुनः जायें। वे निम्न में से किसी एक जाँच कराने की राय दे सकते हैं- जीआई सीरीज़ - बेरियम नामक एक सफेद तरल पीने के बाद अल्सरों को देखने के लिये आपका एक्स-रे किया जायेगा। एण्डोस्कोपी - उपशामक के उपयोग के उपरान्त चिकित्सक आपके गले और ग्रसनी से होते हुये आमाशय में एक नली डालेंगें जिसके सिरे पर कैमरा होता है। कैमरे के द्वारा चिकित्सक आपके आहारनाल के अन्दर देख सकते हैं और ऊतक प्रकार का पता लगा सकते हैं। एच. पायलोरी के लिये बने प्रतिजैविक देखने के लिये रक्त की जाँच। एच. पायलोरी की उपस्थिति के लिये मल की जाँच। तरल यूरिया पीने के बाद साँस की जाँच। 4. यदि आपकी जाँचों में अल्सर के उपस्थिति की पुष्टि हो तो अपने चिकित्सक द्वारा दी गई राय का सख्ती से पालन करें। ज्यादातर उपचारों से अल्सर के कारणों को जड़ से समाप्त करने का प्रयास किया जाता है या फिर उसे शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया जाता है। ऐस्परिन और नॉनस्टेरॉइडल एन्टी-इन्फ्लेमेटरी दवायें (एनएसएआइडी) भी अल्सर की कारक हो सकती हैं। यदि आपके अल्सर हो तो आपको एनएसएआइडी लेने से बचना चाहिये। यदि आपको एनएसएआइडी लेने की आवश्यकता हो तो अपने चिकित्सक की राय के अनुसार आप अम्ल लघुकारक के साथ एनएसएआइडी ले सकते हैं। लम्बे समय से बिना उपचार के पनप रहे गम्भीर या प्राणघातक अल्सर के लिये शल्यचिकित्सा अतिआवश्यक हो जाती है। 5. अत्यधिक रेशेदार ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें जिससे कि अल्सर होने की सम्भावना कम की जा सके या उपस्थित अल्सर को ठीक किया जा सके। 6. फ्लैवेनॉइड युक्त भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करें। सेब, सेलरी, क्रैनबेरी, लहसुन और प्याज, फलों और सब्जियों के रसों के साथ-साथ कुछ प्रकार की चायें फ्लैवेनॉइड के अच्छे स्रोत होते हैं। 7. यदि मसालेदार भोजन करने के बाद आपके अल्सर में दर्द बढ़ जाये तो इनका सेवन समाप्त कर दें। हलाँकि चिकित्सकों का अब यह मानना है कि मसालेदार भोजन से अल्सर नहीं होता है लेकिन कुछ अल्सर वाले लोग यह अवश्य कहते हैं कि मसालेदार भोजन के उपरान्त उनके लक्षण गम्भीर हो जाते हैं। 8. कॉफी और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों की संख्या सीमित करें या पूर्णतयः समाप्त कर दें। इन सभी पेय पदार्थों का आमाशय की अम्लीयता में तथा अल्सर के लक्षणों को गम्भीर बनाने में सहभागिता होती है। 9. अपने अल्सर पूर्णतयः ठीक होने तक शराब के सेवन न करें। उपचार के उपरान्त शराब की थोड़ी मात्रा का सेवन वाजिब हो सकता है किन्तु इसके बारे में अपने चिकित्सक की राय अवश्य लें। 10. बदहज़मी और सीने में जलन जैसे अल्सर के लक्षणों पर काबू पाने के लिये दवा की दुकानों पर मिलने वाले एन्टाऐसिड का प्रयोग करें।
http://hindi.boldsky.com/health/wellness/2013/how-treat-ulcers-002761.html