अब योग से करें रोगों का निदान
योग शब्द वेदों, उपनिष्दों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्वपूर्ण शब्द है। महर्षि व्यास योग का अर्थ समाधि कहते हैं उपर्युक्त ऋषियों की मान्यताओं के अनुसार योग का तात्पर्य शरीर का पूर्णरूप से शुद्धिकरण करके उसे रोगों से मुक्त करके स्वस्थ्य जीवन का वहन करना माना गया है। अभी बीते दिनों 21 जून को भारत सहित सम्पूर्ण विश्व ने योगा दिवस को मनाया, जिसमें जगह जगह लोगों ने योग के द्वारा खुद को सेहतमंद रखने का प्रण किया था।
योग का शरीर पर प्रभाव
योग का अर्थ है अपनी चेतना का बोध अपने अंदर निहित शक्तियों को विकसित करके परम चैतन्य आत्मा का साक्षात्कार एवं पूर्ण आनंद की प्राप्ति करना। इस यौगिक प्रक्रिया में विविध प्रकार की क्रियाओं का विधान ऋषि मुनियों ने किया है। उन्होनें अष्टांग योग जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि आदि शामिल है।
योग करने से हम कई प्रकार के रोगों से निजात पा सकते हैं, जिसमें आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत भी नहीं होती। बस आपको योग के सही प्रकार व उसके नियम को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है ।
आसनों द्वारा रोगों का निदान
सम्पूर्ण उदर रोगों, मधुमेह, मोटापा एवं गैस कब्ज अम्लपित्त के लिए आसन
1 सर्वागासन : इस आसन को करने से आपका थॉयरायड, मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि में कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं ।
2 उत्तानपादासन : ये आसन आंतों को सबल एवं निरोगी बनाता है कब्ज, गैस, मोटापा आदि को दूर कर जठरोगों को भी दूर करता है ।
3 हलासन : इस आसन से मेरूदंड मजबूत बनता है और मांसपेशियों को भी निरोगी बनाता है । साथ ही थॉयरायड, मोटापा ,बौनापन और दुर्बलता को दूर रखता है । हृदयरोग ,डायबिटीज के साथ स्त्री रोगों को दूर रखता है।
4 कर्ण पीडासन : इस आसन में हलासन वाले सभी गुण है ये मोटापा, मधुमेह जैसे रोगों के निदान में गुणकारी है ।
5 नौकासन : नौकासन हृदय और फेफड़े के साथ आंत, अमाशय, यकृत आदि को स्वस्थ्य बनाए रखता है ।
6 पवनमुक्तासन : इस आसन को करने से वायुविकार, स्त्रीरोग, हृदय रोग, गठिया, चर्बी कम होना, और कमर दर्द आदि नहीं होता ।
7 कंधरासन : इस आसन को करने से पेटदर्द, कमर दर्द, गर्भाशय मासिक विकृति, श्वेतप्रदर और पुरूषों में धातुरोग आदि नहीं होते हैं।
8 पद्ïमासन : पद्ïमासन में ध्यान लगाया जाता है और जठरोगों में जल्द लाभ मिलता है।
9 योगामुद्रासन : इस आसन को करने से गैस, अपचन, कब्ज आदि की निवृति होती है । ये मध्ुामेह रोग में शुगर लेवल भी नियंत्रित
करने में सहायक होता है। थॉयरायड, सर्वाइकल पेन, दमा और फेफड़ों के रोग आदि में भी लाभदायक है।
10 व्रजासन : इस आसन को भोजन के बाद भी किया जा सकता है ये अपच, अम्लपित्त, गैस, कब्ज आदि को ठीक करता है, साथ ही घुटनों की पीड़ा को दूर करता है ।
11 शशकासन : हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है, आंत, यकृत और गुर्दों को बल देता है। स्त्रियों के गर्भाशय को बल देता है पेट, कमर एवं कूल्हों की चर्बी को कम करता है ।
12 मंडूकासन : इस आसन के द्वारा मधुमेह नियंत्रित रहता है । उदर और हृदय रोगों के लिए लाभदायक है ।
13 कूर्मासन : इस आसन द्वारा मधुमेह , उदर और हृदय रोगों को नियंत्रित कर सकते है ।
14 पश्चिमोत्तानासन : इस आसन को करने से वीर्य संबन्धी विकार नष्ट होते है और कद वृद्धि में भी सहायक होता है ।
15 वक्रासन : ये कमर की चर्बी को कम करता है और यकृत व तिल्ली रोग में लाभदायक है ।
16 अद्र्धमत्स्येन्द्रासन : इस आसन को करने से मधुमेह ठीक होता है और यह कमर दर्द में भी लाभदायक है ।
17 गोमुखासन : अंडकोश वृद्धि में सहायक ,धातुरोग ,स्त्रीरोग वक्षस्थ्ल को सुडौल बनाना व गठिया को दूर करने में मदद करता है ।
18 पशुविश्रामासन : मधुमेह और उदर रोगों में लाभदायक साथ ही पेट व कमर की बढ़ी चर्बी को कम करता है।
19 चक्रासन : इस आसन के द्वारा आप हाथ पैरों की मांसपेशियों को सबल कर सकते है, स्त्रियों के गर्भाशय के विकारों को दूर करता है। सांस रोग, सर्वाइकल, नेत्र रोगों को दूर करता है।
20 सेतुबंध आसन : ये आसन कुछ कुछ चक्रासन से मिलता है, जो लोग चक्रासन नहीं लगा सकते, वह इस आसन को करके स्लिप डिस्क, कमर दर्द और उदर रोग में लाभ पा सकते हैं।
21 सूर्यनमस्कार : ये आसन अपने में सम्पूर्ण आसन है आप इस आसन को करके अपने सम्पूर्ण शरीर को रोग मुक्त रख सकते हैं।
इसके अतिरिक्त मर्कटासन, कटिउत्तानासन, मकरासन, भुजंगासन, धनुरासन, शलभासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन आदि करके अपने शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाकर रोगमुक्त जीवन का आनंद उठा सकते हैं।
साभार योग साधना एवं योग चिकित्सा रहस्य