सूर्य नमस्कार Surya Namaskār
सूर्य नमस्कार कई आसनों के योग से बना एक पॉवरफुल योगासन है. सूर्य नमस्कार ऐसा योग है जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है. पर सूर्य नमस्कार को करने का सही तरीका बहुत कम लोग जानते हैं.
प्रणाम आसन: इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पंजे जोड़कर अपने आसन मैट के किनारे पर खड़े हो जाएं. फिर दोनों हाथों को कंधे के समान्तर उठाएं और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें. दोनों हथेलियों के पृष्ठभाग एक दूसरे से चिपकाए रहें और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं.
हस्त उत्तासन: इस आसन को करने के लिए गहरी सांस भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं. अब हाथ और कमर को झुकाते हुए दोनों भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं.
हस्तपाद आसन: इस आसन में बाहर की तरफ सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ नीचे की ओर झुकें. अपने दोनों हाथों को कानों के पास से घुमाते हुए ज़मीन को छूएं. अगर बहुत कमर दर्द है तो ये आसन ना करें.
अश्व संचालन आसन: इस आसन में अपनी हथेलियों को ज़मीन पर रखें, सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं और बाएं पैर को घुटने की तरफ से मोड़ते हुए ऊपर रखें. गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं और कुछ देर इसी स्थिती में रहें.
पर्वत आसन: इस आसने को करने के दौरान सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में रखें और अपने हाथ ज़मीन पर सीधे रखें.
अष्टांग नमस्कार: इस आसन को करते वक्त अपने दोनों घुटने ज़मीन पर टिकाएं और सांस छोड़ें. अपने कूल्हों को पीछे ऊपर की ओर उठाएं और अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुआएं और कुछ देर इसी स्थिति में रहें.
भुजंग आसन: इस आसन को करते वक्त धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए छाती को आगे की और ले जाएं. हाथों को ज़मीन पर सीधा रखें. गर्दन पीछे की ओर झुकाएं और दोनों पंजों को सीधा खड़ा रखें.
सूर्य नमस्कार के लाभ :
-सूर्य नमस्कार करने से स्ट्रेस दूर होता है, बॉडी डिटॉक्स होती है और मोटापा घटता है. जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या है यह उनके लिए काफी लाभकारी होता है. रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है.
सूर्य नमस्कार की सीमाएं :
गर्भवती महिलाएं सूर्य नमस्कार ना करें:
उच्च रक्ताचाप के मरीजों को सूर्य नमस्कार ना करें.
अगर आपको पीठ का दर्द रहता है तो सूर्य नमस्कार करने से पहले स्पेशलिस्ट की सलाह लें.
महिलाएं पीरियड के दौरान सूर्य नमस्कार ना करें.