नाभि चक्र क्या है
हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा रचित प्राचीन विज्ञानुसार हमारे शरीर में ७ चक्र स्थित हैं, "नाभि चक्र" हमारा तीसरा चक्र है
निम्नलिखित कारणों से यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण चक्र है: 1. हमारे शरीर का केंद्र है और हमारी पूरी ऊर्जा को नियंत्रित करता है इसलिए इसे Solar Plexus या सूर्य चक्र भी कहा जाता है
2. माँ के गर्भ में शिशु निर्माण क्रम में सबसे पहले नाभि चक्र बनता है इसलिए आयुर्वेदानुसार लगभग ७२,८६४ नाड़ियों का शुरूआती स्थल है 3. हमारे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है
नाभि चक्र की प्रकर्ति
नाभि चक्र की एक प्रकर्ति है की यह अपनी स्थान से अव्यवस्थित होता रहता है, जिसके कई कारण हैं जैसे 1. कोई भारी वस्तु अचानक उठा लेना
2. गड्डे में पैर जाना या झटका लगना3. असंतुलित, असमय अथवा अप्राकृतिक भोजन का ज्यादा सेवन
4. चिंता और तनाव से भरी जीवनशैली
5. माता-पिता की अव्यवस्थित नाभि के कारण जन्म से ही विकृत नाभि चक्र होना आदि…
नाभि चक्र" औषधि
आपके समक्ष प्रस्तुत है, नाभि चक्र औषधि जो कि विश्व कि सबसे प्राचीन और उन्नत चिकित्सा “चक्र चिकित्सा” पर आधारित विश्व की पहली और एकमात्र पूर्णतः आयुर्वेदिक और जड़ी-बूटियों से निर्मित एक विलक्षण औषधि है
"नाभि चक्र" औषधि जो मात्र १० से १५ मिनट मे हमारे नाभि चक्र को संतुलित (Balance), एक सीध मे (Align) और सक्रिय (Activate) करती है... नाभि चक्र के संतुलित, एक सीध मे और सक्रिय होते ही हमारे शरीर मे उपस्थित उर्जा, पूरे शरीर मे संतुलन के साथ प्रवाहित होने लगती हे जिससे शरीर मे एक चेतनता आ जाती है.... और यह चेतनता आते ही २४ घंटे के अंदर स्वस्थ होने की दिशा मे निम्न कार्य प्रारंभ होता है
1. वह सभी रोग जो शरीर मे अभी जड़ पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं.... शरीर उन्हें बाहर निकलना शुरू कर देता है, जिससे शुरूआती अवस्था के रोग….वहीं नष्ट हो जाते हैं 2. अब बात उन रोगों की, जोकी शरीर मे आ चुके हैं.... वह रोग जो शरीर मे आ चुके हैं और जिस रफ़्तार से बड़ रहे हैं वो बढ़ने रुक जाते हैं या उनकी बढ़ने की रफ़्तार कम हो जाती है क्यूंकी हमने नाभि चक्र औषधि द्वारा सीधा उस जड़ को ठीक करना शुरू कर दिया है जहाँ से रोग उत्पन्न हो रहे हैं
3. अब रोगों की जड़ को ख़त्म करने के बाद हम जो भी उपचार पद्दति अपनाते हैं वह अपनी पूरी क्षमता से कार्य करती है और हम पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की दिशा मे बढ़ते हैं
नाभि चक्र औषधि प्रत्येक ७ दिन मे एक बार लेते रहते हैं (ज़्यादा रोगी होने अथवा अधिक आयु के होने पर आप प्रत्येक 5 दिन मे भी ले सकते हैं) और जैसे-जैसे नाभि चक्र औषधि लेते रहते हैं1. नाभि चक्र अपनी प्रकर्तिक स्थिति मे आता चला जाता है 2. आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और इच्छाशक्ति बढ़ती रहती है
3. शरीर की विषहरण (Detoxification) प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, जिससे भविष्य मे भी रोग्ग्रस्त होने की संभावना क्षीण हो जाती है 4. रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) बढ़ती चली जाती है जिससे अगर कोई रोग आक्रमण करने की कोशिश भी करता है तो एक मजबूत रोग प्रतितोधक क्षमता उसे पराजित करने मे सफल होती है
तो इस प्रकार हम देखते हैं की "नाभि चक्र" औषधि एक विलक्षण औषधि है जो आजीवन पूर्ण स्वस्थ रहने मे प्रकर्तिक रूप से मदद करती है जो की पूरी तरह से आयुर्वेदिक एवं जड़ी-बूटियों से निर्मित है तथा भारत सरकार (आयुष मंत्रालय) द्वारा मान्यता प्राप्त है....
कुछ अन्य बाते जो जाननी आवश्यक है:
1. नाभि चक्र औषधि प्रत्यक्ष रूप से किसी भी रोग की औषधि नहीं है परन्तु क्यूंकि यह उस जड़ को ठीक करती है जहाँ से सभी रोगों की उत्पत्ति होती है इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से यह सभी रोगों पर प्रभावशाली है
2. नाभि चक्र औषधि ५ वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों को दी जा सकती है चाहे वह कितनी भी बड़ी आयु का क्यों न हो और कितनी भी जटिल रोग से ग्रस्त क्यों न हो, यहाँ तक की गर्भवती महिलाओं के लिए भी पूर्णतः सुरक्षित है
1. नाभि चक्र औषधि का सेवन कब तक करना है अव्यवस्थित नाभि के विकृत से विकृत रोग से पीड़ित व्यक्ति की नाभि भी लगभग ४ माह में प्राकर्तिक अवस्था में आ जाती है ... परन्तु नाभि चक्र आप इच्छानुसार चाहे जब तक ले सकते हैं क्यूंकि नाभि चक्र औषधि नाभि चक्र को व्यवस्थित करने के साथ-साथ निम्नलिखित अन्य कार्य भी करती है जैसे: 1. विषहरण करना (Detoxification)
2. रोग प्रतिरोधक (Immune System) क्षमता बढ़ाना
उपरोक्त २ ऐसे कार्य हैं जिनके लिए लोग लाखों रूपए खर्च कर रहे हैं परन्तु फिर भी प्राकर्तिक रूप से करने में असफल हो रहे हैं. इसलिए हम कह सकते हैं की नाभि चक्र औषधि आपको सिर्फ स्वस्थ ही नहीं करती बल्कि आजीवन स्वस्थ रहने में भी मदद करती है
2. क्या नाभि चक्र औषधि सिर्फ रोगीओं के लिए है आज के समय में सबसे बड़ी विडम्बना यह है की हमें पता ही नहीं है की हम रोगी है या नहीं, परन्तु हमें एक बात अवश्य समझनी होगी, अगर "नाभि चक्र" अपनी जगह पर व्यवस्थित नहीं है तो इसका अर्थ यह है की हमारे शरीर का पूरा ऊर्जा तंत्र अव्यवस्थित है, अर्थात हमारे शरीर के जिस अंग को जितनी ऊर्जा मिलनी चाहिए उसे या तो आवश्यकता से कम मिल रही है अथवा ज्यादा. और दोनों ही स्थति में हम निशित रूप से रोगों को आमंत्रित कर रहे हैं और भविष्य मैं हमारा रोगी होना निश्चित है
आज के समय में निश्चित रूप से लगभग ८५% व्यक्तियों का नाभि चक्र अव्यवस्थित है, तो आप से निवेदन है की तुरंत अपने नाभि चक्र की स्थति पता करें और उसे अव्यवस्थित होने की स्थति में नाभि चक्र औषधि की सहायता से तुरंत व्यवस्थित करें और उसे भविष्य में भी सदैव व्यवस्थित रखें क्यूंकि एक बात निश्चित है की....
अर्थात बगैर नाभि चक्र के ठीक हुए चाहे हम अच्छे से अच्छा भोजन(Food) करें, पूरक भोजन (Food Supplement) लें अथवा अच्छे से अच्छी औषधि (Medicine) लें, हम पूरी तरह स्वस्थ हो ही नहीं सकतें