नियमित योग करने से हार्ट अटैक का खतरा कम नियमित करें योग
योग भगाए रोग..। इसे अब डॉक्टरों ने भी मान लिया है। एम्स सहित देश के 24 चिकित्सा संस्थानों ने मिलकर शोध किया, जिसमें यह परिणाम सामने आया कि हार्ट अटैक के मरीजों के लिए योग उतना ही असरदार है, जिनता कार्डियक रिहैबिलिटेशन। योग करने से दोबारा हार्ट अटैक होने का खतरा 50 फीसद तक कम हो जाता है। इसलिए योग कार्डिक रिहैबिलिटेशन का बेहतर और आसान विकल्प साबित हो सकता है।
हार्ट अटैक के इलाज में योग के इस्तेमाल पर यह अब तक का सबसे बड़ा क्लीनिकल परीक्षण है, जिसके चमत्कारिक प्रभाव को अमेरिका में दुनियाभर के डॉक्टरों ने देखा। एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज रॉय ने कहा कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा शनिवार को शिकागो में आयोजित सम्मेलन में शोध के नतीजे प्रदर्शित किए गए।
यह योग को वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित करने का सबसे बड़ा शोध है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व इंग्लैंड के मेडिकल रिसर्च काउंसिल की सहयोग से यह शोध किया गया। पांच साल के इस शोध के उत्साहजनक नतीजे सामने आए हैं।
शोध में हार्ट अटैक के 4000 मरीजों को शामिल किया गया। उन्हें इलाज के बाद अस्पताल में तीन महीने तक बुलाकर 13 सेशन योग कराया गया। इसके बाद अपने घर पर नियमित योग करने की सलाह दी गई। शोध में पाया गया कि जिन मरीजों ने अस्पताल पहुंचकर कम से कम 10 सेशन योग किया, वे जल्द ही बीमारी से बाहर निकलकर दफ्तर और अपने दैनिक कार्य पर जाने लगे। अस्पताल में दोबारा भर्ती की जरूरत व मौत की आशंका भी कम हो गई।पैकेज मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान समेत कई विशेषज्ञों के साथ मिलकर योग का पैकेज तैयार किया गया था। इसमें प्राणायाम, सांस के व्यायाम व हृदय के अनुकूल वाले योगासन शामिल थे। मरीजों की सुविधा के अनुसार उन्हें अलग-अलग योगासन व प्राणायाम कराए गए। जिन मरीजों का दिल अधिक कमजोर था, उन्हें प्राणायाम व आसान योग कराए गए। वहीं, जिनका दिल थोड़ा बेहतर था उन्हें कठिन आसन भी कराए गए।एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रशिक्षण लेने के बाद योग थोड़ी जगह में भी नियमित रूप से किया जा सकता है। इसमें खर्च नहीं है। इसलिए योग आधारित रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम भारत सहित विकासशील देशों के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। वैस भी भारत में हार्ट अटैक की बीमारी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 1990 में इस बीमारी से पीड़ित करीब एक करोड़ मरीज थे। यह आंकड़ा वर्ष 2016 में 2.4 करोड़ तक पहुंच गया। वर्तमान में यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
कार्डियक रिहैबिलिटेशन सेंटर में अत्याधुनिक उपकरण होते हैं, जिसमें इलाज के बाद मरीजों को व्यायाम कराया जाता है, ताकि दिल की मांसपेशियों में मजबूती आ सके। ये उपकरण महंगे होते हैं। रिहैबिलिटेशन सेंटर स्थापित करने के लिए भी काफी जगह की जरूरत होती है और व्यायाम के दौरान मरीज की धड़कन की लगातार निगरानी की जरूरत होती है। विदेशों में कार्डियक रिहैबिलिटेशन काफी प्रचलित है, जबकि अपने देश में ऐसी सुविधाओं का अभाव है।
साभार दैनिक जागरण