योग और प्राणायाम से बढ़ती उम्र को रोक सकते हैं
दुनिया भर में रिसर्च किए जा रहे हैं कि किसी भी तरह से उम्र बढ़ने के प्रभाव को रोकने का कोई फार्मूला मिल जाए, लेकिन कोई शॉर्ट कट अभी तक नहीं मिल पाया है। हमने देखा है कि कई लोग वक्त के पहले ही अधेड़ या बूढ़े हो जाते हैं या यदि आप चाहते हैं अपनी बढती उम्र को रोकना तो वक्त के पहले ही आपको जागृत होना होगा तभी यह संभव हो पाएगा। यदि आप 40 की उम्र के पहले ही संभल गए तो यह संभव हो सकता है। जैसे ही व्यक्ति 40 की उम्र पार करता है उसके शरीर और दिमाग में परिवर्तन होने लगते हैं। युवावस्था में तेज रफ्तार गाड़ी, भड़कीला संगीत, आक्रमक जीवन-शैली, जिम में अतिरिक्त मेहनत और संघर्ष करने की प्रवृत्ति ज्यादा नजर आती है, लेकिन उम्र बढ़ते ही स्वभाव की यह उग्रता, गुस्सा और संघर्ष की क्षमता कम होती जाती है और चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। ऐसा व्यक्ति खतरों की तुलना में सुरक्षा को ज्यादा तवज्जो देता है। जोखिम भरे और जिम्मेदारी के कार्य से बचता है। याददाश्त कम होकर भावुकता बढ़ने लगती है। पुरुषों में होने वाले इस तरह के मनोवैज्ञानिक, व्यावहारिक और शारीरिक परिवर्तन को मेडिकल साइंस में एंड्रोपॉज कहा जाता है। जैसे ही व्यक्ति 40 की उम्र पार करता है उसके शरीर और दिमाग में परिवर्तन होने लगते हैं। युवावस्था में तेज रफ्तार गाड़ी, भड़कीला संगीत, आक्रमक जीवन-शैली, जिम में अतिरिक्त मेहनत और संघर्ष करने की प्रवृत्ति ज्यादा नजर आती है, लेकिन उम्र बढ़ते ही स्वभाव की यह उग्रता, गुस्सा और संघर्ष की क्षमता कम होती जाती है और चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। ऐसा व्यक्ति खतरों की तुलना में सुरक्षा को ज्यादा तवज्जो देता है। जोखिम भरे और जिम्मेदारी के कार्य से बचता है। याददाश्त कम होकर भावुकता बढ़ने लगती है। पुरुषों में होने वाले इस तरह के मनोवैज्ञानिक, व्यावहारिक और शारीरिक परिवर्तन को मेडिकल साइंस में एंड्रोपॉज कहा जाता है।योग कहता है कि यह दो तरह की अतियां हैं। यदि आप युवावस्था में व्यर्थ के कार्यों में उर्जा का अतिरिक्त क्षय करते हैं तो फिर एक समय बाद आपको दूसरी अति पर जाना पड़ेगा, तो बचाओ अपनी एनर्जी। बहस, दिमागी द्वंद्व, व्यर्थ का गुस्सा और अव्यवस्थित कार्य प्रणाली तथा जीवन शैली से आपके कार्य, व्यवहार और शरीर तथा मन की क्षमता का पतन होता है। ऐसे में युवा बनें रहना चाहते हैं तो योग से बेहतर विकल्प नहीं।
आसन : आपको सरल से कठिन आसनों की ओर बढ़ना होगा। आप पहले प्रतिदिन 15 दिन तक अंग संचालन करें और फिर प्रतिदिन सूर्य नमस्करा की तीन स्टेप करके उसे धीरे धीरे 12 स्टेप तक ले जाएं। इसके बाद आप ताड़ासन, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तनासन, उष्ट्रासन, धनुरासन और नौकासन करने के बाद कठिन आसनों को करना सीखें। जैसे अर्धमत्स्येंद्रासन, वृश्चिकासन आदि।
प्राणायम : अनावश्यक चिंता, बहस, नशा, स्वाद की लालसा, असंयमित भोजन, गुटका, पाऊच, तम्बाकू और सिगरेट के अलावा अतिभावुकता और अतिविचार के चलते बहुत से युवाओं के चहरे की रंगत उड़ी हुई है। नियमित प्राणायम से इन सभी पर काबू पाया जा सकता है। कछुए की सांस लेने और छोड़ने की गति इंसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं। प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो उन्होंने बढ़ती उम्र को रोक देने का शॉर्ट कट निर्मित किया। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का अंतराल प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।
ध्यान: यदि आपका दिल तेजी से धड़कता है और खून भी तेजी से दौड़ रहा है तो वक्त के पहले ही बूढें हो जाएंगे। प्रतिदिन मात्र 20 मिनट का ध्यान आपके उम्र को रोकने में सक्षम है। ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। यह आपको चिंता और खबराहट से भी दूर रखता है।
बंध और क्रियाएं : योग में बंध का बहुत महत्व होता। मुख्यत: चार बंध होते हैं- जालंधर, उड्डीयान, मूलबंध, महाबंध। इसके अलावा नेती, धौती, बस्ती, बाधी, शंख प्रक्षालन आदि कई क्रियाएं होती है। एक-एक करके बस कुछ खास क्रियाएं ही सीख लें।
उपवास : यह बहुत जरूरी है। उपवास से शरीर के भीतर जमा गंदगी बाहर निकलती है। योग के यम निमय का ही अंग है व्रत या उपवास। उपवास करें 16 घंटे का। जैसे यदि आप रात को आठ बजे भोजन करते हैं तो फिर अगले दिन सुबह 12 बजे ही भोजन करें। इस बीच आपको कुछ भी नहीं खाना या पीना है। सुबह पानी, नारियल पानी या सब्जी का ज्यूस पी सकते हैं। ऐसा करने लगेंगे तो शरीर स्थित नया-पुराना भोजन पूर्णत: पचकर बाहर निकलने लगेगा।