योग करे डिप्रेशन को दूर भगाये

योग करे डिप्रेशन को दूर भगाये

दुनिया का सबसे बड़ा साइलेंट किलर डिप्रेशन (Depression) को माना जाता है. कई बार तो लोगों को पता भी नहीं होता है कि वे डिप्रेशन (Depression) का शिकार हैं. ये एक ऐसी बीमारी है जो हट्टे-कट्टे इंसान को भी गंभीर रूप से बीमार कर सकती है.आज के समय में तकरीबन हर व्यक्ति तनाव या स्ट्रेस (Stress Problem) से जूझ रहा है. किसी को काम का टेंशन तो किसी को सेहत की. कोरोना के बाद से तो डिप्रेशन के मरीजों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है. दुनिया का सबसे बड़ा साइलेंट किलर डिप्रेशन को माना जाता है. कई बार तो लोगों को पता भी नहीं होता है कि वे डिप्रेशन (Depression) का शिकार हैं. ये एक ऐसी बीमारी है जो हट्टे-कट्टे इंसान को भी गंभीर रूप से बीमार कर सकती है, इतनी ही नहीं कई बार तो लोग खुदकुशी (Suicide) तक कर लेते हैं. डिप्रेशन मे आने के बाद लोग डॉक्टरों के चक्कर काटते हैं, दवाएं खाते हैं, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाते.डॉक्टर भी डिप्रेशन के रोगियों को दवा के साथ योग करने की सलाह देते हैं. प्रतिदिन योग और संयमित दिनचर्या से इस बीमारी से महज एक सप्ताह में निजात पाया जा सकता है. आज हम भी आपको ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे हैं. जिनको करके आप डिप्रेशन से बाहर आ सकते हैं.

ताड़ासन- डिप्रेशन से निजात पाने के लिए तिर्यक ताड़ासन को भी किया जा सकता है. इस आसन को करने से पूरी बॉडी स्ट्रेच होगी. और डिप्रेशन छू मंतर हो जाएगा. इस आसन को बाएं और दाएं झुक कर किया जाता है. इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा मुड़े हुए ताड़ के पेड़ के समान दिखाई देती है इसलिए इसे तिर्यक ताड़ासन कहते हैं.

पादहस्तासन- डिप्रेशन को दूर करने के लिए पादहस्तासन भी काफी कारगर है. पादहस्तासन में पूरी तरह से सीधे खड़े हों, फिर हाथों को सिर के ऊपर से लाते हुए पैरों के अंगूठे को पकड़े. इस क्रिया को 15 से 30 सेकेंड तक करें.

भुजंगासन- भुजंगासन के जितने भी फायदे गिनाए जाएं वो कम हैं. डिप्रेशन के मरीजों के लिए ये आसन रामबाण इलाज है. इसमें शरीर के अगले हिस्से को हाथों की मदद से उठाना होता है और सिर को ऊपर उठाकर आसमान को देखें.

आपको बता दें कि डिप्रेशन में जाने के बहुत सारे कारण होते हैं. लेकिन जो सबसे बड़ा कारण है वो जीवन में अचानक से बड़ा परिवर्तन हो जाना या किसी ऐसे व्यक्ति को खो देना जिससे व्यक्ति बहुत प्यार करता हो. कभी कभी हार्मोन्स में बदलाव आने से भी व्यक्ति डिप्रेशन से पीड़ित हो जाता है. तो कुछ मामलो में ये आनुवांशिक हो सकता है मतलब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी आ जाता है. लेकिन अनुवांशिकी के मामले बहुत कम मिलते हैं.