आयुर्वेद चिकित्सा में गाय का महत्व

आयुर्वेद चिकित्सा में गाय का महत्व

सदियो से गौ का महत्व रहा हे। ये सिर्फ न धर्म से जुड़ा हुआ हे पर उसका वैज्ञानिक महत्व भी हे। प्राचीन काल में गौ जिसके पास हो उसको ही संपत्तिवान माना जाता था।
यह मान्यता ऐसी ही नहीं थी। आज के विज्ञानं को इस से जोड़े तो सायद हमारे पूर्वजो की दूरद्रष्टि को हम थोडा समज पाये।
गाय और हमारा स्वास्थय
गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमारों और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। इसके अलावा दूध से कई तरह के पकवान बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन और घी भी बनाता है। गाय का घी और गोमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम भी काम आता है। गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है।
Dr. Corran Mclachlan back ने 1997 रिसर्च में कहा की देसी गाय का दूध ही श्रेष्ठा हे जिस में प्रोटीन a2 पाया जाता हे और विदेसी गाय का दूध जिसमे प्रोटीन a1 पाया जाता हे वह स्वास्थ्य को कुछ फायदा नहीं करता ऊपर से उसमे bcm7 हे जो स्वास्थय को निचे दिए गए रोग पैदा करता हे।
Type 1 diabetes (DM-1).Coronary heart disease (CHD).Autism in children.sudden infant death syndromeSchizophrenia.Asperger’s syndrome.Endocrine dysfunctions like hormone imbalance, endometritis and related infertility problems in women.Digestive distress and leaky gut syndrome.
गाय और आयुर्वेद
.गाय का दूध सौ बीमारियों का निदान करता है तो गोमूत्र कैंसर सहित 108 बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। धार्मिक तौर पर भी पूजा-पाठ के लिए बेहद शुद्ध माना जाने वाले गाय के दूध से गोमूत्र की उपयोगिता ज्यादा है। इसकी कीमत दूध से कहीं अधिक हो गई है। इसकी उपयोगिता वो समझ सकते हैं जो बीमारी के निदान के लिए गोमूत्र से बने अर्क का सेवन करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार गोमूत्र, लघु अग्निदीपक, मेघाकारक, पित्ताकारक तथा कफ और बात नाशक है और अपच एवं कब्ज को दूर करता है। इसका उपयोग प्राकृतिक चिकित्सा में पंचकर्म क्रियाएं तथा विरेचनार्थ और निरूहवस्ती एवं विभिन्न प्रकार के लेपों में होता है। आयुर्वेद में में संजीवनी बूटी जैसी कई प्रकार की औषधियां गोमूत्र से बनाई जाती हैं। गौमूत्र के प्रमुख योग गोमूत्र क्षार चूर्ण कफ नाशक तथा नेदोहर अर्क मोटापा नाशक हैं।
गोमूत्र- श्वांस, कास, शोध, कामला, पण्डु, प्लीहोदर, मल अवरोध, कुष्ठ रोग, चर्म विकार, कृमि, वायु विकार मूत्रावरोध, नेत्र रोग तथा खुजली में लाभदायक है। गुल्य, आनाह, विरेचन कर्म, आस्थापन तथा वस्ति व्याधियों में गोमूत्र का प्रयोग उत्तम रहता है।
गोमूत्र अग्नि को प्रदीप्त करता है, क्षुधा [भूख] को बढ़ाता है, अन्न का पाचन करता है एवं मलबद्धता को दूर करता है।
गोमूत्र से कुष्ठादि चर्म रोग भी दूर हो सकते हैं तथा कान में डालने से कर्णशूल रोग खत्म होता है और पाण्डु रोग को भी गोमूत्र समाप्त करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधियों का शोधन गोमूत्र में किया जाता है और अनेक प्रकार की औषधियों का सेवन गोमूत्र के साथ करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में स्वर्ण, लौह, धतूरा तथा कुचला जैसे द्रव्यों को गोमूत्र से शुद्ध करने का विधान है। गोमूत्र के द्वारा शुद्धीकरण होने पर ये द्रव्य दोषरहित होकर अधिक गुणशाली तथा शरीर के अनुकूल हो जाते हैं। रोगों के निवारण के लिए गोमूत्र का सेवन कई तरह की विधियों से किया जाता है जिनमें पान करना, मालिश करना, पट्टी रखना, एनीमा और गर्म सेंक प्रमुख हैं।
आयुर्वेद के अलावा गोमूत्र नील, हैंड वाश, शैंपू, नेत्र ज्योति, घनवटी, सफेद फिनाइल, कर्णसुधा सहित कई उत्पाद बनाने में प्रयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में तो भारतीय गाय के योगदान को कोई झुठला ही नहीं सकता। हम भारतीय गाय को ऐसे ही माता नहीं कहते। इस पशु में वह ममता है जो हमारी माँ में है। भारतीय गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है। सूर्य के संपर्क में आने पर यह स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में भी होता है। अक्सर ह्रदय रोगियों को घी न खाने की सलाह डॉक्टर देते रहते हैं। साथ ही एलोपैथी में ह्रदय रोगियों को दवाई में सोना ही कैप्सूल के रूप में दिया जाता है। यह चिकित्सा अत्यंत महँगी साबित होती है। जबकि आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों को भारतीय गाय के दूध से बना शुद्ध घी खाने की सलाह दी जाती है। इस घी में विद्यमान स्वर्ण के कारण ही गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेकों बीमारियों से दूर रखता है। गौ मूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी सम्बंधित रोगों का उपचार भी संभव है। ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके।
, गौ की प्रति श्री कृष्ण भगवान का प्रेम कोण नहीं जानता जिसमे खुद भगवान् गोपाल बन जाते हे।
हमारे राष्ट्रपिता आज़ादी की लड़ाई के साथ गौ महत्व हमेसा समजाते रहे और उन्होंने एक बार तो यह किया दिया था की आज़ादी बाद में मिले चलेगा पर गौ हत्या पहले बंध होनी चाहिए। गौ बचेगी तो देश बचेगा।
बाबर से लेके औरेंगज़ेब जेसे कट्टर मुसलमान सासक ने भी गौ हत्या प्रतिबन्ध के कानून बनाया था। दक्षिण भारत में हैदर अली और टीपू सुलतान ने भी गौ हत्या प्रतिबन्ध के कानून बनवाया था।
2005 में सुप्रीम कोर्ट के सामने इ सब बात रखके जस्टिस लाहोटी ने भी गौ हत्या बंध हो और न की केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जवाबदारी पर हर एक नागरिक की भी जवाब दारी हे की वे गौ रक्षा करे ऐसा निर्णय दिया।