नाथ योग परम्परा (हठ योग संप्रदाय ) के गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जी बने उत्तर प्रदेश के C.M.
गोरक्षपीठ
गोरखनाथ नाथ (गोरखनाथ मठ) नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है. इसका नाम गोरखनाथ मध्ययुगीन संत गोरखनाथ (सी. 11 वीं सदी ) से निकला है जो एक प्रसिद्ध योगी थे जो भारत भर में व्यापक रूप से यात्रा करते थे और नाथ सम्प्रदाय के कैनन के हिस्से के रूप में ग्रंथों के लेखक भी थे.नाथ परंपरा गुरु मत्स्येंद्रनाथ द्वारा स्थापित की गयी थी. यह मठ एक बड़े परिसर के भीतर गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है. 'गोरखनाथ' मंदिर उसी स्थान पर स्थित है जहां वह तपस्या करते थे और उनको श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए यह मन्दिर की स्थापना की गयी थी.गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखा गया जिन्होंने अपनी तपस्या के सबक मत्स्येंद्रनाथ से सीखे थे, जो नाथ सम्प्रदाय (मठ का समूह) के संस्थापक थे. अपने शिष्य गोरखनाथ के साथ मिलकर, गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने हठ योग स्कूलों की स्थापना की जो योग अभ्यास के लिये बहुत अच्छे स्कूलों में से माना जाता था.
गुरु गोरखनाथ जी
गोरक्षनाथ के जन्मकाल पर विद्वानों में मतभेद हैं। राहुल सांकृत्यायन इनका जन्मकाल 845 ई. की 13वीं सदी का मानते हैं। नाथ परम्परा की शुरुआत बहुत प्राचीन रही है, किंतु गोरखनाथ से इस परम्परा को सुव्यवस्थित विस्तार मिला। गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ थे। दोनों को चौरासी सिद्धों में प्रमुख माना जाता है।
गुरु गोरखनाथ के जन्म के विषय में जन मानस में एक किंम्बदन्ती प्रचलित है , जो कहती है कि गोरखनाथ ने सामान्य मानव के समान किसी माता के गर्भ से जन्म नहीं लिया था । वे गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के मानस पुत्र थे । वे उनके शिष्य भी थे । एक बार भिक्षाटन के क्रम में गुरु गुरु मत्स्येन्द्रनाथ किसी गाँव में गये । किसी एक घर में भिक्षा के लिये आवाज लगाने पर गृह स्वामिनी ने भिक्षा देकर आशीर्वादx में पुत्र की याचना की । गुरु मत्स्येन्द्रनाथ सिद्ध तो थे ही, उनका हृदय दया ओर करुणामय भी था। अतः गृह स्वामिनी की याचना स्वीकार करते हुए उनने पुत्र का आशीर्वाद दिया और एक चुटकी भर भभूत देते हुए कहा कि यथासमय वे माता बनेंगी । उनके एक महा तेजस्वी पुत्र होगा जिसकी ख्याति दिगदिगन्त तक फैलेगी ।
आशीर्वाद देकर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ अपने देशाटन के क्रम में आगे बढ़ गये । बारह वर्ष बीतने के बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उसी ग्राम में पुनः आये । कुछ भी नहीं बदला था । गाँव वैसा ही था । गुरु का भिक्षाटन का क्रम अब भी जारी था । जिस गृह स्वामिनी को अपनी पिछली यात्रा में गुरु ने आशीर्वाद दिया था , उसके घर के पास आने पर गुरु को बालक का स्मरण हो आया । उन्होने घर में आवाज लगाई । वही गृह स्वामिनी पुनः भिक्षा देने के लिये प्रस्तुत हुई । गुरु ने बालक के विषय में पूछा । गृहस्वामिनी कुछ देर तो चुप रही, परंतु सच बताने के अलावा उपाय न था । उसने तनिक लज्जा, थोड़े संकोच के साथ सबकुछ सच सच बतला दिया । हुआ यह था कि गुरु मत्स्येन्द्रनाथ से आशीर्वाद प्राप्ति के पश्चात उसका दुर्भाग्य जाग गया था । पास पड़ोस की स्त्रियों ने राह चलते ऐसे किसी साधु पर विश्वास करने के लिये उसकी खूब खिल्ली उड़ाई थी । उसमें भी कुछ कुछ अविश्वास जागा था , और उसने गुरु प्रदत्त भभूति का निरादर कर खाया नहीं था । उसने भभूति को पास के गोबर गढ़े में फेंक दिया था । गुरु मत्स्येन्द्रनाथ तो सिद्ध महात्मा थे ही, ध्यानबल से उनने सब कुछ जान लिया । वे गोबर गढ़े के पास गये और उन्होने बालक को पुकारा । उनके बुलावे पर एक बारह वर्ष का तीखे नाक नक्श, उच्च ललाट एवं आकर्षण की प्रतिमूर्ति स्वस्थ बच्चा गुरु के सामने आ खड़ा हुआ ।गुरु मत्स्येन्द्रनाथ बच्चे को लेकर चले गये । यही बच्चा आगे चलकर गुरु गोरखनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
योगी आदित्यनाथ जी
महंत योगी आदित्यनाथ (मूल नाम : अजय सिंह नेगी, जन्म 5 जून 1972) गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त तथा राजनेता हैं जो 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने।वे 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं[ और 2014 लोकसभा चुनाव में यहीं से सांसद चुने गए थे। आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। वह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। इनकी छवि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की है।
सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पर सौंपा गया है I
'हठ' शब्द की रचना 'ह' और 'ठ' दो रहस्यमय एवं प्रतीकात्मक अक्षरों से हुई है। 'ह' का अर्थ 'सूर्य' और 'ठ' का अर्थ 'चंद्र' है। योग का अर्थ इन दोनों का संयोजन या एकीकरण है।
सूर्य तथा चंद्र के एकीकरण या संयोजज का माध्यम हठयोग है। प्राण- (प्रमुख जीवनी शक्ति) ही सूर्य है। हृदय के माध्यम से यह क्रियाशील होकर श्वसन तथा रक्त संचार का कार्य संपादित करता है। अपान- ही चंद्र है जो शरीर से अशुद्धियों के उत्सर्जन और निष्कासन का कार्य संपादित करने वाली सूक्ष्म जीवनी शक्ति है।
सूर्य तथा चंद्र (ह एवं ठ) मानव शरीर के दो ध्रुवों के प्रतीक हैं। जीवन की सारी क्रियाओं और गतिविधियों को बनाए रखने में इन दो जीवनी शक्तियों का पारस्परिक सामंजस्य आवश्यक है। ये मानव शरीर के माध्यम से कार्यरत सार्वभौमिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मानव हृदय में स्थित प्राण (जीवनी शक्ति) ही ग्रह, नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की गति को नियंत्रित करता है तथा वायु, विद्युत, चुम्बकत्व, प्रकाश, उष्मा, रेडियो-तरंग इत्यादि शक्तियों में अभिव्यक्त होता है।
हठयोग की कुँजी से प्राण की अनंत निधि का द्वार खोल कर अपने जीव को शक्ति, साहस, शांति, ऐश्वर्य और पूर्णता से परिपूर्ण कीजिए। इस जगत में कुछ भी असंभव नहीं है। नवजीवन तथा शक्ति को अपने स्नायुओं और रक्त वाहिकाओं में स्पंदित होने दीजिए। सार्वभौमिक शांति तथा विश्व प्रेम को स्थापित करने का हठयोग एक सुंदर साधन है। क्योंकि विश्व शांति वैयक्तिक शांति पर ही निर्भर है। जब तक काम और अपरिमित इच्छाओं के काले बादल को हटाकर व्यक्तिगत शांति स्थापित करने के सभी प्रयास निष्फल सिद्ध होंगे।
हठयोग
हठयोग का अभ्यास आज से ही आरंभ करने का दृढ़ संकल्प कर इसके विभिन्न लाभों को स्वयं अनुभव कीजिए। तेजस्वी स्वास्थ्य, सफलता, शांति, समृद्धि तथा अमरत्व के लिए ईश्वरीय आशीर्वाद आप सबों को प्राप्त हो!