त्राटक क्रिया एक ध्यान

त्राटक क्रिया एक ध्यान

त्राटक क्रिया --एकटक देखने की विधी

त्राटक का अर्थ है--अपनी चेतना को भटकने न देना।

 त्राटक क्रिया विधी
        एकटक देखने की विधि यदि आप लंबे समय तक, कुछ महीनों के लिए, प्रतिदिन एक घंटा ज्योति की लौ को अपलक देखते रहें तो आपकी तीसरी आंख पूरी तरह सक्रिय हो जाती है। आप अधिक प्रकाशपूर्ण,अधिक सजग अनुभव करते हैं।त्राटक शब्द जिस मूल से आता है उसका अर्थ है: आंसू। तोआपको ज्योति की लौ को तब तक अपलक देखते रहना है जब तक आंखों से आंसू न बहने लगें। एकटक देखते रहें, बिना पलकझपकाए, और आपकी तीसरी आंख सक्रिय होने लगेगी। एकटक देखने की विधि असल में किसी विषय से संबंधित नहींहै, इसका संबंध देखने मात्र से है। क्योंकि जब आप बिनापलक झपकाए एकटक देखते हैं, तो आप एकाग' हो जाते हैं। औरमन का स्वभाव है भटकना। यदि आप बिलकुल एकटक देख रहे हैं, जरा भी हिले-डुले बिना, तो मन अवश्य ही मुश्किल में पड़ जाएगा। मन का स्वभाव है एक विषय से दूसरे विषयपर भटकने का, निरंतर भटकते रहने का। यदि आप अंधेरे को, प्रकाश को या किसी भी चीज को एकटक देख रहे हैं, यदि आपबिलकुल एकाग' हैं, तो मन का भटकाव रुक जाता है। क्योंकियदि मन भटकेगा तो आपकी दृष्टि एकाग' नहीं रह पाएगी और आप विषय को चूकते रहेंगे। जब मन कहीं और चला जाएगा तो आप भूल जाएंगे, आप स्मरण नहीं रख पाएंगे कि आप क्या देख रहे थे। भौतिक रूप से विषय वहीं होगा, लेकिन आपके लिए वह विलीन हो चुका होगा, क्योंकि आप वहां नहीं हैं--आप विचारों में भटक गए हैं।एकटक देखने का, त्राटक में जब आप मन को भटकने नहीं देते तो शुरूमें वह संघर्ष करता है, कड़ा संघर्ष करता है, लेकिन यदिआप एकटक देखने का अयास करते ही रहे तो धीरे-धीरे मन संघर्ष करना छोड़ देता है। कुछ क्षणों के लिए वह ठहर जाता है। और जब मन ठहर जाता है तो वहां अ-मन है, क्योंकि मन का अस्तित्व केवल गति में ही बना रह सकता है, विचार-प्रकि'या केवल गति में ही बनी रह सकती है। जब कोई गति नहीं होती, तो विचार-प्रकि'या खो जाती है, आप सोच-विचार नहीं कर सकते। 
क्योंकि विचार का मतलब हैगति--एक विचार से दूसरे विचार की ओर गति। यह एक प्रक्रिया है।यदि आप निरंतर एक ही चीज को एकटक देखते रहें, पूर्ण सजगता और होश से...क्योंकि आप मृतवत आंखों से भी एकटक देख सकते हैं, तब आप विचार करते रह सकते हैं--केवल आंखें, मृत आंखें, देखती हुई नहीं। मुर्दे जैसी आंखों से भी आप देख सकते हैं, लेकिन तब आपका मन चलता रहेगा। इस तरह से देखने से कुछ भी नहीं होगा। त्राटक का अर्थ है--केवल आपकी आंखें ही नहीं बल्कि आपका पूरा अस्तित्व आंखों के द्वारा एकाग्र हो। तो कुछ भी विषय हो--यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है। यदि आपको प्रकाशअच्छा लगता है, ठीक है; यदि आपको अंधेरा अच्छा लगता है,ठीक है। विषय कुछ भी हो, गहरे में यह बात गौण है, असली बात है मन को एक जगह रोकने का, उसे एकाग' करने का, जिससे कि भीतरी गतियां, भीतरी कुलबुलाहट रुक सके, भीतरीकंपन रुक सके। आप बस देख रहे हैं--निष्कंप। इतनी गहराई से देखना आपको पूरी तरह से बदल जाएगा। वह एक ध्यान बन जाएगा।