महर्षि पतंजलि का प्रकट उत्सव है नाग पंचमी

योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि का जन्म दिन

                भारतीय दर्शन में नाग पंचमी का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। इसी दिन आचार्य पाणिन के शिष्य और योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि का जन्म हुआ था । कहते हैं कि आज ही के दिन नागपंचमी को महर्षि पतंजलि ने काशी के एक विशेष स्थान पर योग सूत्रों की रचना की , जिनमें योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि सन्निहित हैं। वैसे तो समग्र मानवता से दुख कलेश संताप अर्थात त्रिदोष के समूल निवारण के लिए भगवान धन्वंतरि ने जगत के कल्याण के लिए आयुर्वेद की रचना की, लेकिन इसके बाद सांसारिक दुखों को दूर करने और समत्व को स्थापित करने के भाव से आचार्य पाणिन की प्रेरणा से महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र का अनोखा उपहार अष्टांग योग मानवता को समर्पित किया। काया की शुद्धि के साथ मानसिक और सामाजिक परिवेश भी निर्मल हो इसके लिए अष्टांग योग का सहारा लिया जाता है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के प्रयोग से मानवता के चरम तक पहुंचा जा सकता है, जो आत्मा और परमात्मा के मिलन का आधार माना गया है।इस्क्के द्वारा मनुष्य कैवल्य को प्राप्त करता है 

महर्षि पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ई.पू.) के शासनकाल में थे. आज आपके लिए योग का ज्ञान अगर सुलभता से उपलब्ध है तो इसका श्रेय महर्षि पतंजलिही जाता है. पहले योग के सूत्र बिखरे हुए थे उन सूत्रों में से योग को समझना बहुत मुश्किल था. इसे समस्या को समझते हुए महर्षि पतंजलि ने योग के 195 सूत्रोंको इकट्ठा किया और अष्टांग योग का प्रतिपादन किया. आज पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है. कालांतर में महर्षि पतंजलि के प्रतिपादित 195 सूत्र योग दर्शन के स्तंभ माने गए. पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था,अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था. योग हिन्दू धर्म के छह दर्शनों में से एक है लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. योग का ध्यान के साथ संयोजन होता है. बौद्ध धर्म में भी ध्यान के लिए अहम माना जाता है. और ध्यान का संबंध इस्लाम और इसाई धर्म के साथ भी है. यह ग्रंथ अब तक हज़ारों भाषाओं में लिखा जा चुका है.  महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. महर्षि पतंजलि ने द्वितीय और तृतीय पाद में जिस अष्टांग योग साधन कापदेश दिया है, उसके नाम इस प्रकार हैं- 1. यम, 2. नियम, 3. आसन, 4. प्राणायाम, 5. प्रत्याहार, 6. धारणा, 7. ध्यान और 8. समाधि. इन 8 अंगों के अपने-अपनेप अंग भी हैं. वर्तमान में योग के 3 ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान.
 महर्षि पतंजलि के जन्म के बारे में एक धार्मिक कहानी भी बताई जाती है. कहा जाता है कि बहुत समय पहले की बात है, सभी ऋषि-मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचेऔर बोले, "भगवन्, आपने धन्वन्तरि का रूप ले कर शारीरिक रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद दिया, लेकिन अभी भी पृथ्वी पर लोग काम, क्रोध और मन की वासनाओं सेपीड़ित हैं, इन सभी विकारों से मुक्ति का तरीका क्या है? अधिकतर लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी विकारों से दुखी होते हैं."भगवान आदिशेष सर्प की शैया पर लेटे हुए थे. हज़ारों मुख वाले आदिशेष सर्प, जागरूकता के प्रतीक हैं. उन्होंने ऋषि मुनियों की प्रार्थना सुन, जागरूकता स्वरुप आदिशेष को महर्षि पतंजलि के रूप में पृथ्वी पर भेज दिया. इस तरह योग का ज्ञान प्रदान करने हेतु पृथ्वी पर महर्षि पतंजलि का अवतार हुआ