आयुर्वेद

आयुर्वेद आयुः तथा वेद इन दो शब्दों के मिलने से बना है I आयुर्वेद शब्द का अर्थ है जीवन - विज्ञान। आयुर्वेद का उल्लेख वेदों में विस्तृत रूप से वर्णित है। आयुर्वेद का वर्णन विभिन्न वैदिक मंत्रों में भी मिलता है , जिनमें संसार तथा जीवन, रोगों तथा औषधियों का वर्णन किया गया है। आज विश्‍व का ध्यान आयुर्वेदीय चिकित्सा प्रणाली की ओर आकर्षित हो रहा है, जिसके तहत उन्होनें भारत की अनेक जडीबूटियों का उपयोग अपनी चिकित्सा में करना शुरू कर दिया है।

अष्टांगिक आयुर्वेद

अष्टांगिक आयुर्वेद

प्राचीन कालमें आयुर्वेद मेंआठ शाखाओं का विकास हुआ, जिसके कारण इसे अष्टांग आयुर्वेद कहा जाता था I वर्तमान में अध्धयन की द्रष्टि से इनके अतिरिक्त अन्य शाखाओं का भी विकास हुआ है I आयुर्वेद की प्राचीन आठ शाखाएं निम्नलिखित है -

1-कायचिकित्सा (इंटरनल मेडिसिन)

2-कौमारभृत्य (पीडियाट्रिक्स)

3-ग्रह चिकित्सा (साइक्येट्री)

4-शालाक्य (आई.एंड.ई.एन.टी)

5-शल्य चिकित्सा (सर्जरी)

6-विष चिकित्सा (टाक्सिकोलोजी)

7-रसायन चिकित्सा (गेरिएट्रिक्स)

8-वाजीकरण ( वैटेलिटी)

एलोवेरा जूस

एलोवेरा जूस

एलोवेरा जूस एलोवेरा के 500 से अधिक औषधीय उपयोग हैं जिनका उल्लेख अनेकों पुस्तकों मे किया गया हैं यू तो इसका प्रयोग हजारों वषों से होता रहा हैं किन्तु आधुनिक विज्ञान ने इसके अनेकों गुणों को रिसर्च के पश्चात परखा और सराहा है जो निम्न प्रकार हैं 1 शरीर मे जमा जहर को बाहर निकलना चारों ओर व्याप्त प्रदूषण , तथा खेती मे प्रयुक्त कीटनाशको इत्यादि के कारण जो जहर हमारे शरीर मे जा रहा हैं, वह भी हमारे शरीर मे घुल रहा है, तथा महत्वपूर्ण अंगो जैसे लीवर,गुर्दे, आतो इत्यादि मे जमा हो रहा है जिससे वे अंग ठीक से कार्य करना बन्द कर देते है परिणाम स्वरुप शरीर मे पोषक पदार्थो का अबशोषण कम होने लगता है जिससे हमे

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