योग विद्या का प्रारम्भ एवं योग के प्रथम वक्ता
Submitted by admin on Mon, 07/18/2016 - 08:22वेद सर्व सत्य विधाओं की पुस्तक है। मानवीय जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान वेद में निबद्ध है। यह मान्यता सर्वविदित है। सब सत्य विधाओं में प्रमुखरूपेण ब्रह्मविद्या-अध्यात्मविद्या है, यह भी सर्वगत है। अतः सिद्ध होता है कि वेद का ब्रह्मविद्या अर्थात योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध है। कुछ स्थूल दृष्टि सम्पन्न व्यक्तियों का यह मानना है कि ऋग्वेद के प्रथम नव मण्डलों के अनुसन्धान से इस बात की पुष्टि होती है कि प्रारम्भ में आर्य इस संसार के आनन्द में पूर्णरूपेण लीन थे एवं भौतिक सुख की कामना पूर्ति हेतु वे देवी देवताओं की पूजा-अर्चना यज्ञादि कर्म किया करते थे। उनकी यह मान्यता निराधार है। वेद का मुख्य