योग दर्शन

ब्रह्मचर्य और योग-साधना

ब्रह्मचर्य और योग-साधना

आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शरीर में सात धातु होते हैं- जिनमें अन्तिम धातु वीर्य (शुक्र) है। वीर्य ही मानव शरीर का सारतत्व है।
40 बूंद रक्त से 1 बूंद वीर्य होता है।
एक बार के वीर्य स्खलन से लगभग 15 ग्राम वीर्य का नाश होता है । जिस प्रकार पूरे गन्ने में शर्करा व्याप्त रहता है उसी प्रकार वीर्य पूरे शरीर में सूक्ष्म रूप से व्याप्त रहता है।

सर्व अवस्थाओं में मन, वचन और कर्म तीनों से मैथुन का सदैव त्याग हो, उसे ब्रह्मचर्य कहते है ।।
 

. वीर्य  को पानी  की  तरह   रोज बहा देने से नुकसान   -

 नाभि चक्र क्या है

 नाभि चक्र क्या है

    हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा रचित प्राचीन विज्ञानुसार हमारे शरीर में ७ चक्र स्थित हैं, "नाभि चक्र" हमारा तीसरा चक्र है
     निम्नलिखित कारणों से यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण चक्र है: 1.      हमारे शरीर का केंद्र है और हमारी पूरी ऊर्जा को नियंत्रित करता है इसलिए इसे Solar Plexus या सूर्य चक्र भी कहा जाता है
 2.      माँ के गर्भ में शिशु निर्माण क्रम में सबसे पहले नाभि चक्र बनता है इसलिए आयुर्वेदानुसार लगभग ७२,८६४ नाड़ियों का शुरूआती स्थल है 3.      हमारे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है
 

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