ज्ञान मुद्रा और उसके लाभ

ज्ञान मुद्रा  और उसके लाभ

अंगूठे एवं तर्जनी अंगुली के स्पर्श से जो मुद्रा बनती है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं |
विधि :

 

1. पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ |
2. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) के उपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से स्पर्श कराएँ |
3. हाँथ की बाकि अंगुलिया सीधी व एक साथ मिलाकर रखें |

सावधानियां :

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