ज्ञान मुद्रा और उसके लाभ
Submitted by yogbharati on Tue, 05/02/2017 - 14:01अंगूठे एवं तर्जनी अंगुली के स्पर्श से जो मुद्रा बनती है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं |
विधि :
1. पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ |
2. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) के उपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से स्पर्श कराएँ |
3. हाँथ की बाकि अंगुलिया सीधी व एक साथ मिलाकर रखें |
सावधानियां :