अष्टांगिक आयुर्वेद

अष्टांगिक आयुर्वेद

प्राचीन कालमें आयुर्वेद मेंआठ शाखाओं का विकास हुआ, जिसके कारण इसे अष्टांग आयुर्वेद कहा जाता था I वर्तमान में अध्धयन की द्रष्टि से इनके अतिरिक्त अन्य शाखाओं का भी विकास हुआ है I आयुर्वेद की प्राचीन आठ शाखाएं निम्नलिखित है -

1-कायचिकित्सा (इंटरनल मेडिसिन)

2-कौमारभृत्य (पीडियाट्रिक्स)

3-ग्रह चिकित्सा (साइक्येट्री)

4-शालाक्य (आई.एंड.ई.एन.टी)

5-शल्य चिकित्सा (सर्जरी)

6-विष चिकित्सा (टाक्सिकोलोजी)

7-रसायन चिकित्सा (गेरिएट्रिक्स)

8-वाजीकरण ( वैटेलिटी)

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