योग दर्शन

महर्षि पतंजलि का प्रकट उत्सव है नाग पंचमी

योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि का जन्म दिन

                भारतीय दर्शन में नाग पंचमी का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। इसी दिन आचार्य पाणिन के शिष्य और योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि का जन्म हुआ था । कहते हैं कि आज ही के दिन नागपंचमी को महर्षि पतंजलि ने काशी के एक विशेष स्थान पर योग सूत्रों की रचना की , जिनमें योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि सन्निहित हैं। वैसे तो समग्र मानवता से दुख कलेश संताप अर्थात त्रिदोष के समूल निवारण के लिए भगवान धन्वंतरि ने जगत के कल्याण के लिए आयुर्वेद की रचना की, लेकिन इसके बाद सांसारिक दुखों को दूर करने और समत्व को स्थापित करने के भाव से आचार्य पाणिन की प्रेरणा से महर्षि

क्रिया योग क्या है

क्रिया योग

क्रिया योग आध्यात्मिक विकास का अहम ज़रिया है, इसमें सांसों को नियंत्रित किया जाता है। इसकी खासियत यह है कि ध्यान के साथ ही इसमें जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव भी लाया जाता है। योग के जानकारों के मुताबिक, क्रिया योग 5 तरीके के होते हैं क्रिया योग एक तरह का प्राचीन योग है। इसमें प्राणायाम की कई पद्धतियां शामिल है। एकाग्रता और आध्यात्मिक विकास के लिए क्रिया योग किया जा सकता है। यह साधारण प्राणायाम से उच्च स्तर का माना जाता है यानी इसे करने के लिए आपको बहुत अधिक ध्यान की ज़रूर है। सही तरीके से क्रिया योग करने पर न सिर्फ आपकी एकाग्रता बढ़ती है, बल्कि कई रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

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