योग-भारती का उद्देश्य प्राचीन भारतीय योग व नेचुरोपैथी को आधुनिक वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन-शिक्षण, एवम् गहन शोध हेतु विश्वस्तरीय शिक्षण स्थापित करना है तथा योग को विज्ञान, चिकित्सा- विज्ञान, कला, एवम् खेलों के रूप में विकसित करना है साथ ही संस्था का उद्देश्य योग-साधना, ध्यान, संयम, सदाचार, शाकाहार, संस्कृति एवम् संस्कारों को वढाबा देना है जिससे रोग मुक्त, स्वस्थ एवम् समृद्ध समाज का निर्माण हो सके|
बौद्ध सम्प्रदाय में योग साधना
Submitted by admin on Tue, 09/06/2016 - 10:30 बौद्ध सम्प्रदाय में योग साधना:-
भगवान बुद्ध ने साधना मार्ग का प्रवर्तन करते समय सर्वप्रथम चार आर्य सत्य
का आदेश किया जिसका ज्ञान होना प्रत्येक साधकों के लिए साधना के पूर्व बौद्ध
धर्म में आवश्यक माना जाता गया है। यह चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं-
(1) प्रथम आर्यसत्य-दुःख:-
भगवान बुद्ध कहते हैं- जन्म लेना, बूढ़ा होना, मृत्यु होना शौक करना,
रोना-पीटना, पीडि़त होना, चिन्ता करना, परेशान होना, इच्छित वस्तु की प्राप्ति न
होना दुःख है। पाँचों उपादान-रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान दुःख है।