कठिन होती है साधु संतों की हठयोग साधना

प्रयागराज कुंभ कुंभ मेला

    साधु-संतो की अपनी अलग ही दुनिया होती है। बाहर से सामान्य दिखने वाले इन साधुओं के भी कई नाम व प्रकार (सम्पदाय) होते हैं। कुछ साधु अपने हठयोग के लिए जाने जाते हैं कुछ अपने संप्रदाय के नाम से। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ( इलाहाबाद)  में चल रहे  कुंभ में ऐसे अनेक साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ है जो अपने हठयोग के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आज हम आपको साधुओं से जुड़ी कुछ ऐसी बाते बता रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं-

चक्र और उनका शरीर पर प्रभाव

चक्र

१. मूलाधार चक्र :

यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह आधार चक्र है। ९९.९% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है, उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।

मंत्र : लं

कैसे जाग्रत करें : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है.! इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।

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