नमो विजन से ‘योगपथ’ पर चला संसार, बढ़ता गया योग का बाजार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 21 जून, 2015 को विश्व के 192 देश जब ‘योगपथ’ पर चल पड़े तो सारे संसार में योग का डंका बजने लगा। ऋषि मुनियों की साधना और स्वस्थ जीवन के आधार का माध्यम योग अब तेज गति बढ़ने वाला कारोबार भी बन गया है। देश-विदेश में लोगों पर ‘योगधुन’ का ऐसा जादू चढ़ा है कि यह अब एक इंडस्ट्री की शक्ल अख्तियार कर चुका है। योग के साथ ही आयुर्वेद और खादी जैसे देसी प्रोडक्ट्स का भी क्रेज बढ़ गया है। जाहिर है, योग से जुड़े उत्पादों के लिए आज पूरा विश्व भारत की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है।
भारत में योग और आयुर्वेद से जुड़े प्रोडक्ट्स का बाजार 12 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है । एक सर्वे के अनुसार योग करने वालों की तादाद में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। योग से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी तेजी से बढ़ी हैं। योग के दौरान पहने जाने वाले ड्रेस का बाजार भी हजार करोड़ पार कर चुका है। जाहिर है बीते तीन साल में योग के कारोबार की ऐसी आंधी चली कि दुनिया भर के बाजार में अनुलोम-विलोम और कपालभाति होने लगा है।
पीएम मोदी ने योग को बनाया ब्रांड
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी करते हैं बड़ा करते हैं। इस बात की बानगी यूएन में योग प्रस्ताव के वक्त भी दिखी। पीएम मोदी ने 27 सितंबर 2014 को जिस अंदाज में संयुक्त राष्ट्र संघ में 21 जून को विश्व योग दिवस के रुप में मनाने की अपील की और जिस ग्रैंड अंदाज में विश्व के 192 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 177 देशों ने सह-प्रायोजक बनना स्वीकार किया, वो अभूतपूर्व था। यूं कहें कि पीएम मोदी की अगुआई में योग दिवस के प्रस्ताव से इसके पास होने तक जो कुछ भी किया गया उससे भारत योग के एक ब्रांड के तौर पर उभरकर सामने आया।
पीएम मोदी को ‘बाजार’ का था पूर्वानुमान
पीएम मोदी के विजन ने पहले तो पूरे विश्व में योग के प्रसार को एक बड़ा आधार दिया। योग का प्रसार हुआ तो इससे जुड़े उत्पाद के बाजार का भी विस्तार होने लगा। प्रधानमंत्री पहले से इस बात को जानते थे कि योग के प्रसार के साथ ही जो बाजार खड़ा होगा, उसका सीधा फायदा भारत और यहां के लोगों को होगा। इसलिए उन्होंने आयुर्वेद प्रोडक्ट्स, योग प्रशिक्षण और आयुर्वेदिक शोध जैसी बातों पर बल देना शुरू कर दिया था। केंद्र की सत्ता संभालते ही वर्ष 2014 में ही पीएम मोदी ने आयुष मंत्रालय बनाया तो 2015 के बजट में उन्होंने योग से जुड़े सभी व्यापारिक कार्यों को दान की श्रेणी में रखते हुए कर मुक्त कर दिया।
योग बाजार में 100 प्रतिशत का उछाल
एक अनुमान के मुताबिक बीते तीन वर्षों में ही योग के बाजार में करीब 100 प्रतिशत तक का उछाल आया है। जून 2016 के आंकड़ों के आधार पर ये साफ है कि योग ने एक बड़े बाजार को भी खड़ा कर दिया है। सिर्फ देश में योग से जुड़े उत्पादों का बाजार 120 अरब तक पहुंच चुका है। 2015 और 2016 के बीच ही योग इंडस्ट्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। योग ट्रेनरों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ी तो योग करने वालों की संख्या भी 35 प्रतिशत बढ़ गई। जून 2016 तक पूरी दुनिया में योग इंडस्ट्री के 2.5 लाख करोड़ पार करने के आंकड़े बताए गए थे, जो इस साल के अंत तक 5 लाख करोड़ पार कर जाने का अनुमान है।
योग प्रशिक्षण और आयुर्वेद शोध पर जोर
योग के लिए योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए Quality Council Of India के तहत अभियान चल रहा है। इसके तहत बाहर और देश में योग के शिक्षकों की योग्यता को परख कर Certificate दिया जा रहा है। देश से बाहर योग सिखाने जाने वालों के लिए QCI का प्रमाणपत्र आवश्यक कर दिया गया है। आयुर्वेदिक उत्पादों के विकास के लिए शोध के लिए एम्स जैसे संस्थानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
योग प्रशिक्षण की फीस लाखों में
योग साधना का माध्यम भी है और कमाई का साधन भी है। देश में 400 से लेकर 1500 रुपये तक योग सिखाने की एक घंटे की फीस ली जाती है। 1.34 लाख रुपये ऋषिकेश के एक मशहूर योग केंद्र की फीस है। अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में 3 से 5 घंटे के 3-5 हजार डॉलर तक फीस है। इसके साथ ही एक साल में अमरीका और चीन के साथ यूरोप में योग अपनाने वाले भी बढ़े हैं। यहां बड़ी संख्या में भारतीय ट्रेनर जा रहे हैं और वहां से ट्रेनिंग लेने लोग भारत भी आ रहे हैं। सरकार अब योग कोर्स के लिए आने वालों को अलग श्रेणी में वीजा देने की भी तैयारी कर रही है।
योग प्रशिक्षकों की बढ़ी डिमांड
एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में योग सीखने वाले लोगों की संख्या करीब 20 करोड़ है। इसके साथ ही योग टीचर्स की मांग सालाना 35 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। देश में योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसमें लगाए जाने योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। योग टीचर प्रति घंटे 400-1500 रुपये तक फीस लेते हैं। योग सिखाने वाली कई संस्थाएं तो एक महीने की फीस सवा लाख रुपये तक भी लेती हैं। वहीं, अमेरिका और ऑस्ट्रलिया जैसे देशों में योगगुरु 3 से 5 घंटे के योगा सेशन की फीस 2 से 3 लाख के बीच वसूलते हैं। अमेरिका हर साल योग सीखने पर करीब 2.5 बिलियन डॉलर खर्च करता है।
योग एक्सेसरीज का बढ़ता व्यापार
दुनिया में जिस तरह से योग का क्रेज लोगों में बढ़ रहा है वैसे ही योग से जुड़े छोटे-बड़े व्यापार का दायरा बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग से जुड़ा व्यापार 12,000 करोड़ रुपये का हो गया है। योग के लिए चटाई से लेकर जूते, सीडी, डीवीडी, बैंड, एसेसरीज, स्टूडियोज की भी डिमांड बढ़ी है। ई-कॉमर्स कंपनियां स्पेशल योग थीम स्टोर ले आई हैं। दुनिया भर में योग एक्सेसरी का कारोबार करीब 5.37 लाख करोड़ रुपये का है। अकेले अमेरिका में 69 हजार करोड़ रुपये योग से जुड़ी किताबों और एक्सेसरी पर खर्च करते हैं।
योग के ड्रेस का बढ़ता कारोबार
खास तरह की ड्रेस पहनकर योग का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में योग के दौरान पहने जाने वाले ड्रेस का कारोबार ही करीब एक हजार करोड़ रुपये का पहुंच चुका है। यही वजह है कि प्रयोग, भू-सत्व, फॉर एवर योग, अर्बन योग जैसी नई कंपनियां योग से जुड़े कपड़े बनाने के मैदान में उतर आई हैं। अगले दो साल में इसके दोगुना हो जाने के आसार हैं।
आयुर्वेद उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी
योग के बाजार के बढ़ने के साथ ही आयुर्वेदिक उत्पादों की भी मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पश्चिमी यूरोप, रूस, अमेरिका, कजाकिस्तान, यूएई, नेपाल, यूक्रेन, जापान, फिलीपींस, केन्या जैसे देशों में आयुर्वेदिक उत्पादों की जबरदस्त डिमांड है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों का 2015 में 83 बिलियन यूएस डॉलर का व्यापार हुआ जो 2020 तक 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर तक हो जाएगी। मेक इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार योगगुरु बाबा रामदेव की पंतजलि का 31 मार्च 2017 तक 10, 561 करोड़ रुपये का व्यापार रहा। जबकि पतंजलि आयुर्वेद ने वित्त वर्ष 2014 में 1200 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
योग आर्ट और खादी का बढ़ा बाजार
आयुर्वेदिक संबंधी ऐसे कई प्रोडक्ट है जिसका योग के दौरान सेवन करने से शारीरिक तौर पर कई प्रकार के लाभ मिलने का दावा किया जाता है। ‘खादी’ ब्रांड भी फेमस हो चुका है। योगा सेंटर्स और कंपनियां अपनी दीवारों पर लगाने के लिए योग से जुड़ी पेंटिंग्स अधिक खरीद रही हैं। योग पेंटिंग्स कारोबार का टर्नओवर करीब 500 करोड़ रुपए का है और ये कारोबार लगातार बढ़ रहा है।
योग का बड़ा बाजार बना अमेरिका
योग दिवस शुरू होने का अमेरिका में योग बाजार पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ा है इसकी बानगी इन आंकड़ों में दिखती है। 2008 के एक आंकड़े के मुताबिक करीब डेढ़ करोड़ (1.58 करोड़ ) लोग योग करते थे, लेकिन 2016 में यह बढ़कर 3.67 करोड़ पर पहुंच गया। जिस रफ्तार से योग करनेवाले बढ़े, उसी रफ्तार से योग सीखाने वाले स्कूल भी अमेरिका में खुले। 2008 में सिर्फ 818 योग स्कूल थे अब ये 3900 का आंकड़ा पार कर गया है। आज की तारीख में अमेरिका में योग का बिजनेस करीब 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। सबसे खास यह है कि अमेरिका में 37 प्रतिशत योग करनेवाले 18 साल से कम उम्र के हैं।
अमेरिका ने भी माना-‘रोग भगाता योग’
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत अमेरिकी योग के बारे में जानते हैं, जबकि 2012 में 70 प्रतिशत को ही इसके बारे में जानकारी थी। अमेरिका में योग के बाजार के बारे में 2016 में Yog Alliance की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 3 करोड़ 60 लाख लोग योग से स्वस्थ रहने के तरीकों को अपना रहे हैं । अमेरिका में योग के बाजार की कुल कीमत लगभग 27 बिलियन डालर है। 2012 की तुलना में यह 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
अमेरिका में 76 हजार प्रशिक्षित योग शिक्षक
योग बाजार में इस बाजार को योग सिखाने वाले शिक्षकों की मांग देश ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बढ़ रही है। Yoga Alliance की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 76, 000 रजिस्टर्ड योग शिक्षक हैं और इसके साथ 7000 योग के स्कूल जुड़े हुए हैं। Yoga Alliance से 2014 से 2016 के बीच 14, 000 नये योग शिक्षक जुड़े। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार देश में योग की मांग आने वाले वर्षों में 30-40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है। एसोचैम की इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि योग की शिक्षा देने वालों की मांग 30-35 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है।
बहरहाल योग केवल आसनों तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये हमारे आचार-व्यवहार की पवित्रता का आधार भी है। योग न सिर्फ मन के विकारों को दूर करता है बल्कि इसके माध्यम से व्यक्ति ईश्वर से संबंध स्थापित करने की शक्ति प्राप्त कर सकता है। वास्तव में योग संपूर्ण जीवन पद्धति है। जीवन जीने की कला, सिद्धांत, लक्ष्य, जीवन की मूल अवस्था, मूल प्रवृत्तियों का ज्ञान अब योग के माध्यम से पूरे विश्व को सहज उपलब्ध है। लेकिन भारत का योग हिमालय की गोद से निकलकर और हिंदू व बौद्ध मठों से होते हुए लंदन, न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, मैक्सिको, बैंकॉक, स्पेन, मलेशिया, थाइलैंड और इंडोनेशिया के महंगे योगा रिजॉर्ट तक पहुंच गया है। हालांकि इसके स्वरूप में कई देशों में परिवर्तन भी दिखता है लेकिन मूल स्वरूप भारतीय योग ही है।