यूपी बोर्ड में योग शामिल पर प्रशिक्षित योग शिक्षको की कमी

यूपी बोर्ड में योग शामिल पर प्रशिक्षित योग शिक्षको की कमी

        यूपी बोर्ड में योग शामिल पर प्रशिक्षित योग शिक्षको की कमी 

                      यूपी बोर्ड ने नए सत्र से कई बड़े बदलाव किए गये  हैं। इसमें योग को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है। योग को चार अंकों के दायरे से हटाकर 20 अंकों तक किया गया है। लेकिन  ये बदलाव आदेश तक ही सीमित रह गया  है, क्योकि मार्केट में न तो योग की किताबें हैं और न ही स्कूलों में योग के टीचर्स।

                    योग टीचर्स की कमी है। ऐसे में सभी स्कूलों में योग प्रशिक्षण का कार्य नहीं के बराबर संचालित हो रहा है। जिन स्कूलों में प्रशिक्षण चल रहा है, वहां प्रार्थना के समय पांच मिनट का समय दिया जाता है। ऐसे में टीचर्स के सामने पांच मिनट में योग का ज्ञान देना कैसे संभव है? इस बारे में टीचर्स का कहना है कि पांच मिनट में योग का प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता। योग के क्लास की बात आती है तो दिक्कत ये होती है कि टेबल और मेज पर योग की कक्षाएं कैसे संचालित कराएं.

टीचर्स को नहीं योग का पूर्ण ज्ञान 

                    स्कूलों में योग को विषय के रूप में सरकार ने लागू तो कर दिया, लेकिन योग सिखाने के लिए ट्रेंड टीचर्स की कमी सरकार की योजना की हवा निकाल रही है। स्कूलों के फिजिकल एजूकेशन के टीचर्स को ट्रेनिंग देने के लिए महज 12 दिनों के वर्कशाप का आयोजन हुआ था। उसमें भी कुछ ही स्कूलों के टीचर्स शामिल हुए। वर्कशाप में विश्व योग दिवस के अनुसार सिलेबस तय किया गया था। योग को विषय के रूप में शामिल करने के लिए जुलाई में सिलेबस जारी हुआ.

प्रशिक्षित योग शिक्षको की भर्ती होनी चाहिए

                    सरकार का यह कदम सराहनीय है लेकिन सरकार को इसे लागु करने के लिए प्रशिक्षित योग शिक्षको की भर्ती करनी चाहिए जिससे योग का सही ज्ञान विद्यार्थियों को मिले जिससे बच्चो का शारीरिक विकास के साथ मानसिक एवं चरीरित्रिक विकास हो सके और स्वस्थ भारत का निर्माण हो ।