योग का पहला सामुदायिक मॉडल सेंटर शुरू
केंद्र सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से एम्स ने देश में योग के पहले सामुदायिक मॉडल सेंटर की शुरुआत बृहस्पतिवार को कर दी। समुदाय आधारित संरचित योग कार्यक्रम के तहत संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा लोगों को उनके घर के नजदीक योग सिखाया जाएगा। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दक्षिणपुरी में स्थित संस्थान के अर्बन हेल्थ सेंटर में इसका शुभारंभ किया। इसी के साथ यहां लोगों को योगाभ्यास कराया जाना शुरू कर दिया गया है। इसका मकसद मधुमेह, हृदय रोग आदि की रोकथाम करना है।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि योग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम में कारगर तो है ही, यह इलाज में भी मददगार है। योग से तनाव कम होता है, जो हाइपरटेंशन, मधुमेह व हृदय से संबंधित बीमारियों का बड़ा कारण है। योग फेफड़े में ऑक्सीजन को बढ़ा देता है और मांसपेशियों को मजबूती देता है। संस्थान में भी योग सिखाया जाता है पर यह देखा गया है कि आवागमन में खर्च के कारण करीब 50 फीसद लोग बीच में ही इसे छोड़ देते हैं जबकि योग का फायदा तभी है जब उसे प्रतिदिन किया जाए। इसलिए लोगों के घर के नजदीक ही योग सिखाने की शुरुआत की गई है। इस परियोजना की रूपरेखा संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन सेंटर व इंटिग्रेटेड मेडिसिन रिसर्च सेंटर ने मिलकर तैयार की है। मॉडल सेंटर में लोगों को दो सप्ताह का प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें प्रतिदिन घर में योग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उम्मीद है कि इससे मधुमेह व हाइपरटेंशन से पीडि़त लोगों की दवाएं कम हो जाएंगी।
एम्स के इंडोक्रिनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. निखिल टंडन ने कहा कि बीमारी होने पर दवा जरूरी है पर स्वस्थ रहने के लिए संतुलित खानपान व बेहतर रहन-सहन जरूरी है। योग करने पर दवा अधिक फायदेमंद साबित होगी। प्रतिदिन 50 मिनट तक योगाभ्यास
संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन सेंटर के प्रोफेसर व इस कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. पुनीत मिश्रा ने कहा कि मधुमेह व हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने वाले योग का बुकलेट भी तैयार किया गया है। यह बुकलेट लोगों को दिया जाएगा। इसमें प्रतिदिन 50 मिनट तक योग करने का सुझाव दिया गया है। 7.2 करोड़ लोग हैं मधुमेह से पीड़ित
देश में करीब 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। करीब नौ लाख लोगों की मौत का कारण यह बीमारी बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि 2030 तक मधुमेह मौत का सातवां बड़ा कारण होगा।
साभार- दैनिक जागरण