भारतीय साहित्य में योग पर राष्ट्रीय परिसंवाद 20 जून को दिल्ली में

भारतीय साहित्य में योग पर राष्ट्रीय परिसंवाद 20 जून को दिल्ली में

भारतीय साहित्य में योग पर राष्ट्रीय परिसंवाद 20 जून को दिल्ली में भारतीय साहित्य में योग विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद 20 जून को होगा साहित्य अकादमी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 'भारतीय साहित्य में योग' विषयक एक राष्ट्रीय परिसंवाद 20 जून को आयोजित कर रही है। परिसंवाद में भारतीय सभ्यता में योग दर्शन की 3000 ईसा पूर्व से उपस्थित परंपरा को रेखाकित किया जाएगा। सिंधु सभ्यता से लेकर वर्तमान तक योग ने भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति को गहरे तक प्रभावित किया है। संस्कृति और कला में इसका प्रभाव और ज्यादा रूप से देखा जा सकता है। जैन और बौद्ध धर्मो पर भी योग का गहरा प्रभाव है। साहित्य अकादमी के सभागार में आयोजित इस परिसंवाद में योग के विभिन्न पक्षों पर अपनी बात रखने के लिए पूरे देश से विभिन्न भाषाओं के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने बताया कि परिसंवाद में उद्धाटन व्याख्यान प्रख्यात लेखक एवं विद्वान कपिल कपूर देंगे। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अपना अध्यक्षीय व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। प्रथम सत्र में विष्णुदत्त राकेश 'वैष्णव साहित्य में योग' विषय पर, जे. श्रीनिवासमूर्ति 'संस्कृत काव्य एवं काव्यशास्त्र में योग' विषय पर, वीरसागर जैन 'जैन एवं बौद्ध साहित्य में योग' विषय पर तथा विजयपाल शास्त्री 'गोरखनाथ के साहित्य में योग' विषय पर अपने-अपने आलेख प्रस्तुत करेंगे।

द्वितीय सत्र में एचएस. शिवप्रकाश 'दक्षिण भारतीय साहित्य में योग' विषय पर, जवाहर बक्षी 'पश्चिमी भारतीय साहित्य में योग' विषय पर, जीबी. हरीश 'तात्रिक साहित्य में योग' विषय पर तथा 'जगन्नाथ दास पूर्वी भारतीय साहित्य में योग' विषय पर अपने आलेख प्रस्तुत करेंगे।

 

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