योग से होगा मधुमेह और कैंसर का समाधान

योग दिवस की नीव डालने के बाद मोदी सरकार इसके जरिये कैंसर-मधुमेह जैसे गंभीर रोगों के इलाज की खोज में जुटी है। मधुमेह पर तो करीब-करीब नतीजे भी सामने आ गए हैं। देश में उप्र समेत 50 जिलों के 2.50 लाख लोगों पर हुए सर्वेक्षण में साबित हुआ है, कि पहले जो मरीज इंसुलिन के सहारे रहते थे। योग करने से वो सामान्य हो गए। उसके बाद ही कैंसर को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्लान तैयार हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग गुरु, पद्मश्री प्रोफेसर एचआर नागेंद्र ने यह बात कही। वे गुरुवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर आयोजित सेमिनार में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, योग को अब गंभीर रोगों के इलाज पर शोध के नजरिये से आगे बढ़ाया जाएगा। प्रयास हैं, जब दुनिया के बड़े जनरल्स में योगा की सफलता के रिसर्च पेपर प्रकाशित होंगे, तो यही वैज्ञानिक सबूत होंगे। क्योंकि अभी दुनिया के सामने योग की ताकत सिद्ध करने के लिए हमारे पास वैज्ञानिक प्रमाण का अभाव है।

डॉ. नागेंद्र बैंगलुरू के स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान समस्थाना (एस-व्यासा) डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति के भी हैं। गाय व गौमूत्र के लाभ के सवाल पर कहा कि इसका फायदा जगजाहिर है। हां, गौ मूत्र पर शोध कर हमें इसे अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित करना होगा। उन्होंने कहा कि पांच से दस साल में डायबटीज का खात्मा संभव होगा।

सौ जिलों में कैंसर का सर्वे

डॉ. नागेंद्र ने कहा कि कैंसर के इलाज के लिए सौ जिलों में दो करोड़ लोगों का सर्वे का लक्ष्य है। इसमें कैंसर की किस्में जानी जाएंगी। राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत प्लान बनाया जा रहा है। इसमें बड़े अस्पतालों से लेकर जिला स्तर के अस्पताल सब एकजुट होकर कैंसर के मरीजों का उपचार करेंगे। इसके बाद एक प्रोटोकॉल बनेगा, जिसके पांच-छह माह बाद अस्पतालों में योग से कैंसर का इलाज किया जाएगा।आयुष मंत्रालय और उनका संस्थान मिलकर अब 100 जिलों में कैंसर पीड़ितों का डाटा एकत्र करेगा और योग के जरिये कैंसर से निपटने पर शोध होगा। उन्होंने कहा कि रोगियों के लिए एस-व्यासा ने योग प्रशिक्षकों का डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया है। आयुष क्लीनिकों में इन प्रशिक्षकों को तैनात किया जाएगा। नासा जैसे प्रतिष्ठित अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था में बतौर मैकेनिकल इंजीनियर काम कर चुके प्रो. नागेंद्र ने इंजीनियरिंग की वर्तमान शिक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रैक्टिकल के बजाय थ्योरी पर ज्यादा जोर है। अब यह प्रणाली बदलने की आवश्यकता है।

सौजन्य से दैनिक जागरण